इंडोनेशिया में लोगों से मिलते संत पापा फ्राँसिस इंडोनेशिया में लोगों से मिलते संत पापा फ्राँसिस  (ANSA) संपादकीय

एक हृदय जो दुनिया बदल देता है

हमारे संपादकीय निदेशक ने पोप फ्राँसिस के नए प्रेरितिक विश्वपत्र 'दिलेक्सित नोस' पर चिंतन करते हुए कहा कि यह हमें यह समझने में मदद करता है कि मसीह हमसे किस प्रकार प्रेम करते हैं।

अंद्रेया तोरनियेली

संत पापा फ्राँसिस अपने नये प्रेरितिक विश्वपत्र में लिखते हैं, “ख्रीस्त ने हमारे लिए अपने प्रेम की गहराई को प्रदर्शित किया है, लंबी व्याख्या के द्वारा नहीं बल्कि ठोस कार्य के द्वारा। दूसरों के साथ उसके व्यवहार की जांच करके, हम यह जान सकते हैं कि वह हममें से प्रत्येक के साथ कैसा व्यवहार करता है।”

ग्रीक तर्कवाद, ख्रीस्तीय आदर्शवाद के बाद, भौतिकवाद और आज के व्यक्तिवाद की तरल संस्कृति के बच्चों के रूप में, हम यह पूरी तरह से समझने के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि ख्रीस्तीय धर्म को एक सिद्धांत, एक दर्शन, नैतिक नियमों के एक संग्रह या यहां तक ​​कि भावनात्मक भावनाओं के एक क्रम तक सीमित नहीं किया जा सकता है। इसके बजाय, यह एक जीवित व्यक्ति के साथ मुलाकात है।

इसलिए, यह समझना कि वे हमसे कैसे प्रेम करते हैं, हमें कैसे आकर्षित करते और बुलाते हैं, तथा उनके साथ संबंध स्थापित करने को, तर्क-वितर्क, दिखावटी सांस्कृतिक पहचान, या आवश्यकता पड़ने पर परामर्श के लिए नियमों की पुस्तिका तक सीमित नहीं किया जा सकता।

येसु हमसे कैसे प्यार करते हैं, यह समझना दिल का मामला है: यह कामों, नज़रों और शब्दों की कहानी है। यह दोस्ती की कहानी है, दिल की बात है।

पेत्रुस के उत्तराधिकारी लिखते हैं, "मैं अपना हृदय हूँ, क्योंकि मेरा हृदय ही मुझे अलग करता है, मेरी आध्यात्मिक पहचान को आकार देता है, और मुझे अन्य लोगों के साथ एकजुट रखता है।"

पोप कहते हैं, हम समझ सकते हैं कि येसु हमें कैसे प्रेम करते हैं, “दूसरों के साथ उसके संबंधों की जांच करके”; अर्थात्, सुसमाचार के पाठों पर मनन करके और स्वयं को आश्चर्यचकित होने देकर जो हमारे आसपास घटित होते, संभवतः वहां भी जहां हम उनकी कम से कम उम्मीद करते हैं।

हम उन्हें काम करते देख, हम देखते हैं कि येसु अपना पूरा ध्यान देते हैं, व्यक्तियों और उससे भी बढ़कर उनकी समस्याओं एवं जरूरतों को।

वे आये, हर दूरी को पार किया, और हमारे करीब आये, सबसे सरल और दैनिक जीवन की चीजों के तरह। वास्तव में उनका एक दूसरा नाम है, एम्मानुएल, अर्थात् “ईश्वर हमारे साथ”, ईश्वर हमारे जीवन के करीब, हमारे बीच रहते हैं। ईश्वर के पुत्र ने शरीरधारण किया और अपने आप को खाली किया, सेवक बने एवं प्रेम के कारण अपना बलिदान कर दिया।

ख्रीस्तीय विश्वास को अपनाने का अर्थ है ख्रीस्त के हृदय को अपनाना, एक ऐसा हृदय जो उदासीन रहने में असमर्थ है, जो अपनी असीम दया से हमें गले लगाकर, हमें अपना अनुकरण करने के लिए आमंत्रित करता है।

और इसके सामाजिक परिणाम हैं क्योंकि युद्धों, सामाजिक-आर्थिक असंतुलन, उपभोक्तावाद और प्रौद्योगिकी के अमानवीय प्रयोग की चपेट में दुनिया, "हृदय से शुरू करके बदल सकती है।"

इस प्रकार प्रेरितिक विश्वपत्र दिलेक्सित नोस पोप फ्राँसिस के संपूर्ण परमाध्यक्षीय काल के लिए एक व्याख्यात्मक कुंजी के समान है।

 

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24 October 2024, 17:24