कार्डिनल डिजीविज : पोप जॉन पौल द्वितीय ‘शांति और वार्ता के निर्माता थे’
वाटिकन न्यूज
संत पापा जॉन पौल द्वितीय का पर्व एवं 22 अक्टूबर 1978 को पोप के रूप में उनके परमाध्यक्षीय काल की शुरूआत, दोनों एक ही तारीख में पड़ते हैं।
वाटिकन न्यूज़ से बात करते हुए, कार्डिनल स्टानिस्लाव डिजीविज़ ने इस बात पर जोर दिया कि शांति पर पोप जॉन पॉल द्वितीय की शिक्षाएँ आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं, खासकर, यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे संघर्षों को देखते हुए।
प्रभावशाली वार्ता में भाग लेना अपमान नहीं है
संत जॉन पॉल द्वितीय ने 16 मार्च 2003 को इराक युद्ध के शुरू होने से ठीक पहले देवदूत प्रार्थना के दौरान कहा था, "समझौता करने और चर्चा जारी रखने में कभी देर नहीं होती। अपने कर्तव्यों पर विचार करने, ऊर्जावान वार्ता में शामिल होने का मतलब अपमानित होना नहीं है, बल्कि शांति के लिए जिम्मेदारी के साथ काम करना है।"
कार्डिनल स्टानिस्लाव डिजीविज़ जिन्होंने संत पापा जॉन पौल द्वितीय के सचिव के रूप में करीब 39 सालों तक काम किया, एक साक्षात्कार में कहा कि पोलिश पोप ने विश्व शांति को बढ़वा देने के लिए हरसंभव प्रयास किया।
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि आज, यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे युद्धों को देखते हुए, जॉन पॉल द्वितीय की शिक्षाएँ पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं।"
"डरो मत" - एक कालातीत आह्वान
22 अक्टूबर, 1978 को अपने परमाध्यक्षीय काल की शुरुआत के उपलक्ष्य में आयोजित यूखरिस्तीय समारोह के दौरान, संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने अपना विशेष संदेश दिया: "डरो मत! ख्रीस्त के लिए द्वार खोलो!"
इन शब्दों का उल्लेख करते हुए, कार्डिनल डिजीविज़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह एक दैनिक आह्वान है, जो अभी भी कलीसिया, आधुनिक विश्व, व्यक्तियों और विविध समुदायों के लिए प्रासंगिक है।
संत पापा जॉन पौल द्वितीय की शिक्षा पर चिंतन करते हुए जिसमें शांति, जीवन की रक्षा, श्रमिकों के अधिकार, राजनीति की गरिमा, स्त्री प्रतिभा की सराहना, मिस्सा बलिदान और ईश्वरीय दया शामिल थी, कार्डिनल डिजीविज़ ने जीवन की पवित्रता पर अपने मजबूत रुख के लिए पोप फ्रांसिस के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्डिनल ने कहा, “हम ब्रसेल्स में पोप फ्राँसिस के कहे शब्दों के लिए आभारी हैं, जिन्होंने मानव जीवन के शुरू से अंत तक इसकी प्रतिष्ठा की रक्षा किये जाने पर जोर दिया।
पोप फ्राँसिस और जॉन पॉल द्वितीय
"हमें विशेष रूप से उनके उदाहरण और पितातुल्य देखभाल की आवश्यकता है, लेकिन कोई भी करोल वैतिल्ला को जाने बिना संत जॉन पॉल द्वितीय को पूरी तरह से नहीं समझ सकता," पोप फ्रांसिस ने हाल ही में प्रकाशित पुस्तक ला मेता ए ला फेलिचिटा (लक्ष्य खुशी है) की प्रस्तावना में लिखा है।
किताब इताली भाषा में छापा गया है
इन शब्दों पर विचार करते हुए, कार्डिनल डिजीविज़ ने उल्लेख किया कि जॉन पॉल द्वितीय ने फादर जॉर्ज बर्गोग्लियो को अर्जेंटीना में धर्माध्यक्ष नियुक्त किया और बाद में उन्हें कार्डिनल बनाया।
अंत में, कार्डिनल डिजीविज़ ने सभी से सत्य की खोज करने और प्रत्येक पोप की शिक्षाओं में एक भरोसेमंद मार्गदर्शक खोजने का आग्रह किया, क्योंकि प्रत्येक पोप संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी हैं।
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