सिनॉड प्रेस ब्रिफिंग सिनॉड प्रेस ब्रिफिंग 

सिनॉड ब्रीफिंग – 12वाँ दिन : आम सहमति पर आत्मपरख करना महत्वपूर्ण

16 अक्टूबर को धर्मसभा की प्रेस ब्रीफिंग में ईशशास्त्र विशेषज्ञों के समन्वयक फादर दारियो विताली ने इस बात पर जोर दिया कि ईशशास्त्रियों और कलीसियाई कानून के ज्ञाताओं को अपने कार्य में "हमेशा पवित्र आत्मा को सुनना" है, जबकि धर्मसभा ने कलीसिया की एकता और धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की दक्षता जैसे विषयों पर चर्चा की।

वाटिकन न्यूज

15 और 16 अक्टूबर को पॉल षष्ठम सभागार में धर्मसभा के दूसरे सत्र के दौरान कलीसिया की एकता और धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की योग्यताओं पर चर्चा की गई।

बुधवार को वाटिकन प्रेस कार्यालय में आयोजित ब्रीफिंग में चार वक्ताओं ने इस दूसरे सत्र में ईशशास्त्र विशेषज्ञों और कलीसियाई कानून के ज्ञाताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला, साथ ही आत्मा की बात सुनते हुए कलीसिया को आगे बढ़ानेवाली आम सहमति को समझने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

भाषा के टेबल रिपोर्टों से प्रारंभिक प्रस्ताव

संचार विभाग के प्रीफेक्ट और सूचना आयोग के अध्यक्ष डॉ. पाओलो रूफिनी ने आयोग की सचिव डॉ. शेइला पीरेस के साथ मिलकर सभा के बारे में अद्यतन की जानकारी दी।

डॉ. रूफिनी ने कहा, "पिछले दो दिनों से हम इंस्ट्रुमेंटम लेबोरिस के अंतिम भाग पर चर्चा कर रहे हैं," और छोटे समूह भाषा टेबल के वक्ताओं के साथ मिलकर संबोधित किए जानेवाले मुद्दों का एक प्रारंभिक प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए काम कर रहे हैं।

डिजिटल दुनिया और पल्लियाँ

प्रीफेक्ट ने कहा कि संत पॉल सभागार में कलीसिया ने हमेशा उन शहरों और स्थानों को उल्लिखित किया है जहां वह मौजूद है और क्षेत्र के साथ घनिष्ठ संबंध में धर्माध्यक्ष द्वारा निर्देशित होती है।"

उन्होंने यह भी कहा, "कलीसिया को डिजिटल दुनिया में रहना चाहिए," और "मौजूदा खतरों" को ध्यान में रखना चाहिए। डॉ. रूफिनी ने आगे कहा, "दलों से, मुलाकात के स्थानों के रूप में पैरिशों पर ध्यान दिया।" "लेकिन रचनात्मक होने और कल्पना करने की भी आवश्यकता है, ताकि हमारी कलीसिया के स्थानों को अन्य क्षेत्रों में विस्तारित किया जा सके," विशेष रूप से डिजिटल क्षेत्र में।

इसके अलावा, धर्मसभा के प्रतिभागियों ने “स्थानीय और महाद्वीपीय कलीसियाओं के बीच उपहारों के आदान-प्रदान में मौजूदा धर्मसभा संरचनाओं की पहचान करने और उन्हें मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।” धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के बारे में, डॉ. रूफिनी ने कहा, प्रतिनिधियों का कहना है कि “वे सहभागिता को बढ़ावा देते हैं, लेकिन उनकी स्थिति को बेहतर ढंग से परिभाषित करना अभी भी आवश्यक है।”

धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की सिनॉडल भूमिका

डॉ. रूफिनी ने यह भी बताया कि "इस प्रश्न पर विचार किया गया कि क्या धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों को धर्मसैद्धांतिक योग्यताएँ सौंपी जाएँ, साथ ही विविध संस्कृतियों की सुंदरता की खोज के महत्व पर भी विचार किया गया, जो कि अपने आप में पर्याप्त नहीं हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि "महाद्वीपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों को महाद्वीपीय स्तर पर धर्मसभा को जोड़ने के लिए उपयुक्त स्थान के रूप में देखा गया" और "धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों को मध्यवर्ती सहकारिता के स्तर के रूप में कैसे बढ़ाया जाए।" प्रीफेक्ट ने उल्लेख किया कि बोलनेवाले लोग "कलीसिया की एकता को बनाए रखने के महत्व" को पहचानने में एकमत थे।

एकता की सेवा में पेत्रुस के उतराधिकारी की प्रेरिताई

डॉ. रूफिनी ने आगे कहा, "वैश्वीकरण के समय में पोप की प्रेरिताई पर चर्चा की गई," और न केवल काथलिक कलीसिया की एकता के लिए बल्कि अन्य ख्रीस्तीयों के संबंध में भी उनकी सेवा, सर्वोच्च नैतिक और आध्यात्मिक प्राधिकरण के रूप में।

चर्चा के विषयों और उनकी प्राथमिकताओं की पहचान करने में, दलों ने “सिनॉडल और मिशनरी कुंजी में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों को देखना शुरू किया: ईशशास्त्रीय स्वभाव, योग्यताएँ, और धर्मसैद्धांतिक, धर्मविधिक, प्रेरितिक, अनुशासनात्मक और प्रशासनिक क्षेत्रों में अधिकार।” अनिवार्य रूप से, सवाल यह है कि “मानव गतिशीलता, संस्कृति और डिजिटल वातावरण की घटनाओं के प्रकाश में, युगांतरकारी परिवर्तन के संदर्भ में मिशनरी कुंजी में भागीदारी को कैसे फिर से आकार दिया जाए।”

इसके अलावा, "सिनॉडालिटी, सहकारिता और प्राथमिकता को कैसे एकजुट रखा जाए; प्रेरितिक संविधान प्रेदिकाते इवांजेलियुम के प्रकाश में रोमी परमाध्यक्षीय कार्यालय की भूमिका; विश्वव्यापी धर्मसभा, महाद्वीपीय कलीसियाई सभा, धर्मसभा और विशेष परिषदों को।" इसके बाद की विषयवस्तुओं में शामिल होंगे: "स्वस्थ विकेंद्रीकरण को परिभाषित करने के लिए मानदंड, कलीसियाओं की कलीसिया, उपहारों के आदान-प्रदान, स्थानीय-विश्वव्यापी अभिव्यक्ति, सहायकता, और सुई इयूरिस (स्वतंत्र) कलीसिया।"

सांस्कृतिक दुनिया का प्रचार

अपनी टिप्पणी में, डॉ. पीरेस ने संस्कृति के प्रचार पर ध्यान देने पर जोर दिया, यह स्वीकार करते हुए कि हर कोई एक मिशनरी भूमि का हिस्सा है और छोटे जमीनी समुदायों की भूमिका पर ध्यान दिया जो पैरिशों को अधिक जीवंत बना सकते हैं।

डॉ. पीरेस ने कहा, "धर्मसभा ने सांस्कृतिक और डिजिटल परिवर्तनों के अनुकूल होने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है और अधिक धर्मसभा एवं मिशनरी कलीसिया को बढ़ावा दिया है: चर्चा में विश्वास की एकता और समकालीन चुनौतियों का जवाब देने की कलीसिया की क्षमता पर जोर दिया गया।"

ब्रीफिंग में चार वक्ता

पैनल में एक इतालवी पुरोहित और ईशशास्त्री, फादर दारियो विताली, धर्मसभा के विशेषज्ञ ईशशास्त्रियों के समन्वयक और परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय में कलीसियाशास्त्र के प्रोफेसर; स्पेनिश पुरोहित, फादर जोस सैन जोस प्रिस्को, कैनन लॉ के प्रोफेसर और सलामांका के परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय के डीन, प्रशिक्षण और बुलाहट के विशेषज्ञ; क्लारा अंतोनिया सिज़ार, जन्म से रोमानियाई और ईशशास्त्र संकाय के डीन और ऑस्ट्रिया में लिंज़ के काथलिक विश्वविद्यालय के उप-रेक्टर; और ऑस्ट्रेलियाई पुरोहित, फादर ऑरमंड रश, धर्मसभा सचिवालय के लिए ईशशास्त्रीय सलाहकार और ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलियाई काथलिक विश्वविद्यालय में व्याख्याता शामिल थे।

फादर विताली: ईशशास्त्रियों के चार समूहों का सामूहिक कार्य

अपनी टिप्पणी में फादर विताली ने इस बात पर जोर दिया कि ईशशास्त्रियों के चार भाषा समूहों (अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश-पुर्तगाली, इतालवी) का कार्य, जिसका वे समन्वय करते हैं, "आम सहमति के उभरते तत्वों की पहचान करके सभा के प्रस्तावों को फिर से पढ़ना" है, और सामूहिक रिपोर्ट तैयार करना है जो "उन लोगों को इंगित करती है जिन्हें अंतिम दस्तावेज का मसौदा तैयार करना है कि अभिसरण के बिंदु क्या हैं और क्या वे समस्याग्रस्त हैं।"

कलीसिया की यात्रा में, आत्मा की बात सुनने में, जो बात मायने रखती है, वह है सर्वसम्मति। असंगत तत्वों की तलाश करना और उन्हें उजागर करना आवश्यक नहीं है। फादर विताली ने स्पष्ट किया कि यह ईशशास्त्रियों की जिम्मेदारी है कि वे "सभा में परिपक्व होनेवाली सर्वसम्मति के प्रकार को पहचानें, ताकि दस्तावेज प्रतिभागियों के बीच साझा की गई बातों और आत्मा द्वारा कलीसिया को दिए जा रहे संकेतों के अनुरूप हो।"

उन्होंने कहा कि चार भाषा समूहों का काम धर्मसभा शैली का एक उदाहरण है, जो 2021 में धर्मसभा यात्रा के साथ-साथ शुरू हुए ईशशास्त्रियों के बीच सहयोगात्मक कार्य का परिणाम है। पिछली धर्मसभाओं में, धर्मशास्त्रियों ने धर्मसभा सचिवालय के साथ अलग से बातचीत की थी।

फादर प्रिस्को: धर्मसभा के धर्मविधि आयोग के सदस्य के रूप में, फादर प्रिस्को ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस सभा में धर्मविधि विशेषज्ञों का कार्य ईशशास्त्रियों के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास है, "जबकि अतीत में, ईशशास्त्र और धर्मविधि कानून अक्सर दो समानांतर रेखाओं पर चलते थे।" इसके बजाय, पूरकता और सहयोग आवश्यक है।

फादर प्रिस्को ने कहा कि धर्मसभा का काम “खासकर कलीसियाई कानून की दूसरी पुस्तक से संबंधित है, जो ईश्वर के लोगों को समर्पित है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्मसभा के सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई आवश्यकता के कारण धर्मसभा के प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के लिए धर्मसभा के विशेषज्ञों का एक समूह बनाया गया था, ताकि “संशोधनों या नए मानदंडों की संभावनाओं की पहचान की जा सके, जो लातीनी और पूर्वी दोनों तरह की कलीसियाई कानून में सुधार कर सके।”

सिस्ज़ार: मंचों में, "सिनॉडालिटी का माधुर्य" प्रेरितिक ईशशास्त्री क्लारा अंटोनिया सिस्ज़ार ने मंचों के धर्मशास्त्रीय योगदान के महत्व पर जोर दिया, जिसमें "दूसरे को जानना भी शामिल है और कलीसिया में धर्मसभा संस्कृति को संशोधित करने की अनुमति देता है।" पिछले साल, धर्मसभा कार्य के समापन पर, एक प्रतिभागी ने बताया कि "धर्मशास्त्र पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया गया।"

हालांकि, ईशशास्त्रीय-प्रेरितिक मंचों में, सुश्री सिस्ज़ार ने कहा, "आज यह स्पष्ट है कि ईशशास्त्र, धर्मसभा स्वरूप कलीसिया में अपनी भूमिका सीख रहा है और धर्मसभा शैली में योगदान दे रहा है।" ये सभाएँ "धर्मसभा की मूल धुन, ईश्वर के लोगों के ईशशास्त्र को विनियमित करने में मदद करती हैं।" उन्होंने कहा, क्योंकि ईशशास्त्रीय शैक्षणिक समुदाय,  "एक धर्मसभा स्वरूप कलीसिया के जन्म का समर्थन करना चाहता है।"

फादर रश: नए संदर्भों में सुसमाचार की घोषणा के लिए प्रतिक्रियाएँ

ऑस्ट्रेलियाई ईशशास्त्री फादर ऑरमंड रश ने जीवित परंपरा की अवधारणा पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा, "जीवित प्रकाशना केवल स्थिर सत्य नहीं है, बल्कि ईश्वर और मानवता के बीच एक सतत संवाद है।" अपने संबोधन में, उन्होंने समझाया कि इस दूसरे सत्र में, वे "सुसमाचार के संदेश को साकार करने के लिए कलीसिया की जीवित परंपरा की प्रक्रिया में प्रवेश कर रहे हैं।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईशशास्त्र का काम कलीसिया को ईश्वर का संदेश सभी तक पहुँचाने में मदद करना है, साथ ही प्रत्येक व्यक्ति की भावनाओं को सुनना भी है। फादर रशी के अनुसार, आज कलीसिया को ईशशास्त्र की मदद से "संकेतों, दृष्टांतों और येसु की 21वीं सदी से जुड़ने के तरीके" की व्याख्या करनी चाहिए, वाटिकन द्वितीय महासभा हमारे लिए एक प्रकाश बना हुआ है।

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि समय के संकेतों को पढ़ने में सक्षम होना, "आज मानव जीवन के बारे में ईश्वर के दृष्टिकोण की नई समझ के लिए मौलिक है। कलीसिया को नए संदर्भों में सुसमाचार की घोषणा करने की अनुमति देने के लिए नई प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है जिसमें वह रहता है।"

धर्माध्यक्षों और सम्मेलनों की धर्मसैद्धांतिक योग्यताएँ

ब्रीफिंग में पत्रकारों ने कई बिंदुओं पर अपने सवाल पूछे, जिनमें धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के लिए धर्मसैद्धांतिक योग्यताओं का संभावित विकेंद्रीकरण, कलीसियाई कानून में संशोधनों का अध्ययन और अनुमोदन, एवं ईशशास्त्रियों की भूमिका शामिल थी।

फादर विताली ने याद दिलाया कि "यहां तक ​​कि केंद्र से परिधि तक सैद्धांतिक कार्यों के संभावित हस्तांतरण के संबंध में सबसे अधिक प्रतिबंधात्मक माना जाने वाला दस्तावेज़", अर्थात् 1998 में जॉन पॉल द्वितीय द्वारा मोतू प्रोप्रियो अपोस्टोलोस सुओस, वास्तव में नम्बर 21 में बताता है कि 'धर्माध्यक्ष अपने देखभाल में सौंपे गए विश्वासियों के लिए विश्वास के प्रामाणिक शिक्षक और डॉक्टर्स हैं,' और उनके लिए विशिष्ट योग्यताओं की पहचान करता है, जैसे कि अपने क्षेत्रों के लिए धर्मशिक्षा के प्रकाशन की देखरेख करना, निश्चित रूप से ' परमधर्मपीठ से अनुमोदन' के बाद। इसके अलावा, इस संबंध में पोप फ्राँसिस द्वारा प्रेदिकाते इवांजेलियुम में भी एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।"

फादर विताली ने दोहराया कि "जब वे धर्मसिद्धांत नहीं बना सकते, धर्माध्यक्ष धर्मसिद्धांत से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार कर सकते हैं, हमेशा यह सुनिश्चित करते हुए कि वे पोप के साथ संवाद में काम करें।"

कलीसियाई कानूनी मानदंडों का अद्यतन करना

फादर सन जोस प्रिस्को ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, कलीसियाई कानून के दृष्टिकोण से, "कुछ नयापन हो सकता है" कई बिंदु - जैसे कि पुरोहित परिषदें या आर्थिक मामलों की परिषदें, या निकाय जो पुरोहित, धर्मबहन और लोकधर्मियों के बीच सक्रिय सहयोग की उम्मीद करते हैं - "जिन पर सभा ने सहमति पाई है, उन्हें अंतिम दस्तावेज़ में पोप के सामने पेश किया जाएगा, और शायद अगली गर्मियों तक एक अद्यतन देखा जा सकता है।" फिर भी, अन्य विषयवस्तुओं के लिए, "अधिक सावधानी बरती जाएगी, क्योंकि उन्हें आगे के परामर्श की आवश्यकता होगी।"

कुछ मुद्दों पर आम सहमति नहीं; बहस बंद नहीं हुई है

कुछ सवाल हैं, खास तौर पर धार्मिक दृष्टिकोण से, जिनके इस धर्मसभा के अंत में निश्चित उत्तर नहीं होंगे, जैसे कि लिंग या महिला प्रेरिताई से संबंधित मुद्दे।

“लेकिन हमें हमेशा इस बात पर ध्यान देना चाहिए,” फादर रश ने समझाया, “आम सहमति बनाने की क्षमता। जहां कुछ मामलों पर कोई आम सहमति नहीं है, इसका मतलब है कि चर्चा जारी रहनी चाहिए, जरूरी नहीं कि यह हमेशा के लिए बंद हो जाए।”

फादर विताली ने इस भावना को दोहराया, और इस बात पर जोर दिया कि "सिनॉडल महासभा क्षितिज संकेत प्रदान करती है, जो सर्वसम्मति के माध्यम से व्यक्त की जाती है," और "धर्मसभा के अधिकार और विश्वसनीयता को ईशशास्त्रियों के लिए अनुसंधान की स्वतंत्रता के कर्तव्य से अलग किया जाना चाहिए, जो भविष्य में सर्वसम्मति को जन्म दे सकता है।"

सभी के लिए समझने योग्य अंतिम दस्तावेज

डॉ. रूफिनी ने कहा, "जो बात धर्मसभा के धर्माचार्यों के बीच स्पष्ट रूप से समझी और मौजूद है, वह है भाषा पर ध्यान: हम सभी जानते हैं कि हमें एक अंतिम दस्तावेज का मसौदा तैयार करने के लिए बुलाया गया है, जिसे न केवल पोप को प्रस्तुत किया जाना चाहिए, बल्कि यह ईश्वर की समस्त प्रजा के लिए समझने योग्य भी होना चाहिए।"

अपने अनुभव से बोलते हुए, सिज़ार ने धर्मसभा में ईशशास्त्र की भूमिका और पश्चिमी तथा पूर्वी यूरोप की परंपराओं एवं अनुभवों के बीच "उपहारों के आदान-प्रदान" की महत्ता को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, "सेंसुस फिदेई को हमेशा ध्यान देना आवश्यक है," "धर्मसिद्धांत को व्यवहार में बदलने और मानवीय गरिमा के लिए साथ देने की भूमिका को महत्व देने की कोशिश करना है जो कलीसिया ईश्वर के लोगों के प्रति रख सकता है।" इस पर, फादर रश ने वाटिकन द्वितीय महासभा का हवाला देते हुए दोहराया कि "प्रकाशन ईश्वर और मानवता के बीच एक सतत संवाद है" और ईशशास्त्री "कलीसिया को अपनी जीवंत परंपरा को जारी रखने में मदद कर सकते हैं।"

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

17 October 2024, 16:16