अंतरधार्मिक वार्ता के समर्थक, कार्डिनल आयूसो गिसोत का निधन
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 26 नवंबर 2024 (रेई) : कार्डिनल आयूसो गिसोत वर्षों तक अंतरधार्मिक संवाद के दृढ़ समर्थक बनकर, करीब सभी प्रेरितिक यात्राओं में संत पापा फ्राँसिस के साथ रहे। इस्लाम और अरब जगत के बारे में उनके व्यापक ज्ञान ने उन्हें अन्य धर्मों के साथ संबंधों को मजबूत करने के पोप के प्रयासों का एक अनिवार्य हिस्सा बना दिया। इन यात्राओं को अक्सर "भाईचारे की तीर्थयात्रा" के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो उन क्षेत्रों में एकता को बढ़ावा देने के लिए कार्डिनल के समर्पण को दर्शाता है जहाँ काथलिक धर्म अल्पसंख्यक है।
वर्ष 2019 में, उन्होंने अंतरधार्मिक वार्ता के लिए परमधर्मपीठीय परिषद के सचिव के रूप में संयुक्त अरब अमीरात और मोरक्को की ऐतिहासिक यात्राओं में भाग लिया, तथा 5 अक्टूबर, 2019 को कार्डिनल बनाए जाने के तुरंत बाद ही उन्होंने विभाग का नेतृत्व संभाला। 2021 में वे पोप फ्राँसिस के साथ इराक की यात्रा की। इस यात्रा को उन्होंने युद्धग्रस्त राष्ट्र के लिए परिवर्तनकारी बताया। वे 2022 में संत पापा के साथ कजाकिस्तान और बहरीन भी गए और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के सामने आने तक अपने मिशन में सक्रिय रहे।
विश्वास और सार्वभौमिक मिशन में गहराई से जुड़े हुए
सेविले की ख्रीस्तीय और इस्लामी विरासत के अनूठे मिश्रण ने अंतर-धार्मिक समझ के प्रति उनकी संवेदनशीलता को गहराई से प्रभावित किया। कानून की पढ़ाई करते हुए, उन्हें एक बुलाहट का एहसास हुआ और वे 1973 में कॉम्बोनी मिशनरियों में शामिल हो गए। 1980 में पुरोहिताभिषेक होने के बाद, उन्होंने इस्लामी अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल करते हुए रोम में आगे की पढ़ाई की।
कार्डिनल गिसोत की मिशनरी यात्रा काहिरा से शुरू हुई जहाँ उन्होंने लातीनी समुदाय की सेवा की और सूडान के काथलिक युवाओं की सहायता की। इस मार्ग ने अंततः उन्हें युद्धग्रस्त सूडान और बाद में अरबी एवं इस्लामी अध्ययन के परमधर्मपीठीय संस्थान के अध्यक्ष के रूप में अकादमिक नेतृत्व की ओर अग्रसर किया। उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें 2007 में अंतरधार्मिक संवाद के लिए परमधर्मपीठीय परिषद के सलाहकार के रूप में भूमिका दिलाई। 2019 में प्रीफेक्ट के पद पर पदोन्नत, कार्डिनल अयूसो गिसोत दुनिया भर में मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और अन्य धार्मिक समुदायों के साथ संवाद को बढ़ावा देने की कलीसिया के प्रयासों में एक केंद्रीय व्यक्ति बन गए।
भाईचारा की परंपरा
कार्डिनल अयूसो गिसोत ने पोप फ्राँसिस के भाईचारे के दृष्टिकोण को अपनाया, जैसा कि विश्वपत्र "फ्रेतेली तूत्ती" में बताया गया है। संवाद के प्रति अपने अथक समर्पण के माध्यम से, उन्होंने प्रदर्शित किया कि विभिन्न धर्मों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व संभव और आवश्यक दोनों है। उनका निधन एक ऐसे दूरदर्शी नेता को खो देना है, जिन्होंने वैश्विक मंच पर एकता की भावना को लाया।
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