पवित्र भूमि येरूसलेम पवित्र भूमि येरूसलेम  

पवित्र भूमि के ख्रीस्तीय समुदायों की कराह

येरूसलेम की पवित्र भूमि में रहने वाले काथलिक समुदायों ने अपने हितों और अधिकारों की सुरक्षा में आवाज उठाई।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 16 दिसम्बर 2021 (रेई) येरुसलेम में ईसाई नेताओं ने पवित्र भूमि में ख्रीस्तियों के खिलाफ हो रहे घटनाओं की सूचना देते हुए स्थानीय नागर अधिकारियों से बातचीत के माध्यम समस्या का समाधान करने का आह्वान किया है।  

येरूसलेम में काथलिक, आर्थोडक्स और प्रोटेस्टेंट नेताओं ने पवित्र भूमि में ईसाई समुदाय के संबंध में इज़राइल, फिलिस्तीन और जॉर्डन में नागरिक अधिकारियों से एक अपील जारी की है। येरूसलेम के प्राधिधर्माध्यक्षों और कलीसिया के अधिकारियों ने 13 दिसंबर को “पवित्र भूमि में ईसाई उपस्थिति पर वर्तमान खतरा” एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए।

विदित हो कि 2012 के बाद से पुरोहितों और अन्य याजकीय वर्गों के खिलाफ शारीरिक और मौखिक हमलों की अनगिनत घटनाएं हुई हैं, ईसाई चर्चों पर हमले, पवित्र स्थलों को नियमित रूप से तोड़फोड़ और अपवित्र किया गया है। स्थानीय ईसाइयों के विरूध इस तरह की हो रही घटनाओं का संबंध उन्हें लगातार डराने-धमकाने हेतु किया जा रहा है जिससे वे पवित्र भूमि और येरुसलेम छोड़ने को बाध्य हों।  

पवित्र भूमि समुदाय का अभिन्न अंग

बढ़ती ईसाई विरोधी हिंसा के बावजूद, धार्मिक नेताओं ने ईसाईयों के लिए “सुरक्षित और सुरक्षित घर” प्रदान करने के लिए इजरायल सरकार की घोषित प्रतिबद्धता को मान्यता दी है। “इस प्रतिबद्धता के प्ररिणाम स्वरूप पवित्र भूमि के पवित्र स्थलों पर लाखों ईसाई तीर्थयात्रियों की यात्रा हेतु सरकार की सुविधाएं देखी जा सकती है।”

हालांकि स्थानीय ख्रीस्तीय समुदाय के नेताओं का कहना है कि वे अपने में स्थानीय नेताओं, अधिकारियों और कानून व्यस्थापकों के कार्यों में इस निष्ठा के प्रति एक विफलता को देखते हैं जो ईसाईयों को धमकी देने वाले कट्टरपंथी समूहों की गतिविधियों को रोकने में असफलता स्वरुप व्यक्त होता है। 

येरूसलेम के ईसाई क्वार्टर का संरक्षण

वे कट्टरपंथी समूहों का उदाहरण पेश करते हैं जहाँ वे येरूसलेम के ईसाई क्वार्टर को खरीद रहे हैं यद्यपि उनकी “आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चरित्र” को बनाए रखने वाले इजरायली कानून का प्रवाधान है। उनका आरोप है कि कट्टरपंथी समूह “गुप्त सौदे और डराने-धमकाने की रणनीति” अपनाते हुए लोगों की संपत्ति को हथिया लेते हैं।

वित्तीय ताने-बाने के लिए महत्वपूर्ण

नेताओं का कहना है कि ईसाई तीर्थयात्रा - एक अधिकार होने के अलावा - इजरायल की अर्थव्यवस्था के लिए पर्याप्त वित्तीय लाभ उत्पन्न करते हैं। बर्मिंघम विश्वविद्यालय की एक रिपोर्टानुसार इस संबंध में सालाना 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान का अनुमान लगाया गया है। स्थानीय ईसाई समुदाय के द्वारा “इज़राइल, फिलिस्तीन और जॉर्डन के समुदायों में शैक्षिक, स्वास्थ्य और मानवीय सेवाओं हेतु एक उचित योगदान दिया जाता है। अतः इस संबंध में प्रधिधर्माधक्षों औऱ कलीसिया के अधिकारियों ने स्थानीय अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे वार्ता के माध्यम इन समस्याओं का समाधान निकलें।

अपील के लिए विश्वव्यापी समर्थन

दुनिया के अन्य हिस्सों में येरुसलेम ईसाई संगठनों को कई समर्थन मिले हैं। वैश्विक कलीसियाई परिषद्, अंतरकलीसियाई वार्ता के 349 कलीसियाओं ने इस बयान पर अपना मजबूत समर्थन प्रकट करते हुए वार्ता की पहल पर जोर दिया है।

मध्य पूर्वी प्रांत पर शांति स्थापित हेतु कलीसियाओं के संघ ने अपील का समर्थन करते हुए कहा कि ख्रीस्तीय समुदाय पवित्र भूमि का एक महत्वपूर्ण अंग होने के साथ ही पवित्र ईसाई स्थलों के प्रबंधक हैं।

ऑर्थोडॉक्स, काथलिक और प्रोटेस्टेंट कलीसिया का एक यूएस-आधारित समूह, द चर्च फॉर मिडल ईस्ट पीस (सीएमईपी) ने अपने बयान में कहा, “जैसे हम ईसाई क्रिसमस मनाने की तैयारी करते हैं, हम पवित्र भूमि में अपने भाई-बहनों को ध्यान में रखते हैं जो परंपराओं को उस स्थान पर ले जाना जारी रखते हैं जहां हमारा विश्वास शुरू हुआ था।”

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16 December 2021, 17:32