संत पापा ने यमन में संघर्ष विराम के विस्तार की सराहना की
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार 06 जून 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को युद्धग्रस्त यमन में संघर्ष विराम दो महीने के विस्तार पर संतोष व्यक्त किया।
संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्रांगण में स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ करने के बाद यूक्रेन में युद्ध का समाधान खोजने के लिए ठोस बातचीत की अपील करने के बाद, संत पापा ने कहा कि उन्हें यह सुनकर खुशी हुई कि यमनी सरकार और देश के हौथी विद्रोहियों के बीच दो महीने के संघर्ष विराम को बढ़ा दिया गया है। संत पापा ने कहा "ईश्वर और आपको धन्यवाद! मुझे उम्मीद है कि आशा का यह संकेत उस खूनी संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक और कदम हो सकता है जिसने हमारे समय के सबसे खराब मानवीय संकटों में से एक को जन्म दिया है।”
यमन में लड़ाई 2014 में शुरू हुई जब ईरान समर्थित हौथी विद्रोही अपने उत्तरी एन्क्लेव सदाह के से उतरे और सना की राजधानी पर कब्जा कर लिया, जिससे सरकार को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। सरकार को सत्ता में बहाल करने की कोशिश में 2015 की शुरुआत में एक सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने युद्ध में प्रवेश किया।
दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट के कारण संघर्ष के दौरान 377,000 से अधिक लोगों के मारे जाने का अनुमान है।
संत पापा फ्राँसिस ने आगे कहा, "आइए, हम यमन के बच्चों के बारे में सोचना न भूलें: वहाँ भूख, विनाश, शिक्षा की कमी, हर चीज की कमी है।"
"आइए हम बच्चों के बारे में सोचें।"
ब्राज़ील के रेचिफ़ में भूस्खलन पीड़ितों के लिए प्रार्थना
संत पापा फ्राँसिस ने ब्राजील में अत्यधिक मौसम की घटनाओं से प्रभावित लोगों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, और "रेचिफ के महानगरीय क्षेत्र में हुई मूसलाधार बारिश के कारण हुए भूस्खलन के पीड़ितों के लिए" प्रार्थना करने का आश्वासन दिया।
पूर्वोत्तर ब्राजील में मूसलाधार बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने कहा कि कुछ अभी भी लापता हैं। हजारों घर और झोंपड़ियां बाढ़ में बह गई हैं।
दो कपुचिन शहीदों की बेरूत में धन्य घोषणा
संत पापा ने शनिवार को बेरूत में दो कैपुचिन फ्रायर्स माइनर के धन्य घोषणा समारोह को भी याद किया।
धन्य लियोनार्डो मेल्की और धन्य थॉमस जॉर्ज सेल, पुरोहित और शहीद हैं, जो क्रमशः 1915 और 1917 में तुर्की में अपने विश्वास के कारण मारे गए थे।
"इन दो लेबनानी मिशनरियों ने शत्रुतापूर्ण संदर्भ में ईश्वर में अटूट विश्वास और अपने पड़ोसी के लिए आत्म-बलिदान का प्रमाण दिया।"
संत पापा ने कहा कि वे दोनों पुरोहित युवा थे, 35 साल के भी नहीं थे। "उनका उदाहरण हमारे ख्रीस्तीय साक्ष्य को मजबूत करे।" संत पापा ने संत पेत्रुस प्रांगण में उपस्थित विश्वासियों से नए धन्यों के आदर में ताली बजाने को कहा।
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