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मारिया जोसेफ और जनादा मारकुस फादर जोसेफ के साथ मारिया जोसेफ और जनादा मारकुस फादर जोसेफ के साथ  (ANSA)

बोको हरम से बचे: अपनी कहानी कहने का साहस

बोको हरम के शिकार जनादा मारकुस और मरिया जोसेफ ने नाइजीरिया और दुनिया भर में कई महिलाओं एवं लड़कियों के भयानक वास्तविकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपनी कहानियाँ सुनाईं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक अवसर है जब उन आवाजों को स्थान दिया जाता है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज किया जाता या भुला दिया जाता है। विडंबना यह है कि ये वे आवाजें हैं जिन्हें हमें सबसे ज्यादा सुनना चाहिए, उनकी कहानियाँ भयानक वास्तविकताओं के गवाह हैं।

बोलने का महत्व

8 मार्च को हमने जो आवाजें सुनीं, वे मारिया जोसेफ और जनादा मारकुस की आवाजें हैं, और उन हजारों लड़कियों और महिलाओं की भी जिनका वे प्रतिनिधित्व कर रही हैं क्योंकि वे बोको हरम के हिंसक पुरुषों द्वारा अपहरण और हिरासत की कहानी को बहादुरी से बताती हैं। उन्होंने इस साक्ष्य को बुधवार को संत पापा फ्राँसिस के सामने लाया।

मरिया जो 9 वर्षों तक बोको हराम के कैद में रही मरियामू कहलाना पसंद करती हैं वे केवल हौसा भाषा बोलती हैं। वह सिर्फ 10 साल की थी तभी अपहरण कर ली गई थी और 19 साल की उम्र में पिछले अगस्त माह में रिहा हुई।

जनादा, मरिया से थोड़ी बड़ी है, वह 22 साल का है। हालांकि उसके कैद की अवधि कम रही लेकिन वह चार बार अपहरण की शिकार हुई और उसे भी बहुत अधिक पीड़ा सहना पड़ा है।

मंगलवार को दोनों लड़कियों ने रोम में एड टू द चर्च इन नीड के मुख्यालय में पत्रकारों से मुलाकात की। वे दोनों एक साथ बैठकर बारी-बारी से अपनी-अपनी कहानियाँ बतलायीं। मेदूगूरी धर्मप्रांत के सदमा केंद्र (जहाँ पीड़ित लड़कियों की देखभाल की जाती है) के संचालक फादर जोसेफ फिदेलिस के प्रोत्साहन पर जनादा ने बोलना शुरू किया।

जनादा की कहानी

जनादा बोको हराम के चार हमलों से बची हैं। उसका पूरा परिवार 2011 में भागने में कामयाब रहा, जब आतंकवादियों ने बागा में उनके घर पर आग लगा दी थी। उसके तीन साल बाद दुबारा यही घटना घटी जब बोरनो के असकिरा उबा स्थित उनके नये घर पर आग लगा दी गई। हालाँकि, 28 अक्टूबर 2018 को हुए तीसरे हमले को याद करते हुए, जनादा की आँखों में आँसू भर आते हैं और वह रोने के लिए एक पल रूक जाती है। फादर जोसेफ ने उसकी ओर से इताली पत्रकारों से कहा, “यह उसके लिए कठिन है। यही वो दिन था जब उनके पिताजी की हत्या कर दी गई थी। जनादा केवल सत्रह वर्ष की थी जब उसके सामने उसके पिता का सिर काट दिया गया था। दो साल बाद, एक बार फिर, जनादा उन लोगों के साथ आमने-सामने हुई, जिन्होंने उसके पिता की हत्या की थी, उन्होंने अस्पताल के बिस्तर से उसका अगवा कर लिया, जहाँ वह एक छोटे ऑपरेशन से ठीक हो रही थी। उन्होंने उसे छह दिनों तक बंधक बनाकर रखा, इस दौरान उसे भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।”

नाइजीरिया में बंदूकधारियों ने स्कूली छात्राओं का एक बार फिर अपहरण कर लिया

मारिया की एक अलग कहानी है। 9 साल की उम्र में उसका अपहरण कर लिया गया था और दस साल से अधिक समय तक वह बोको हरम के अधीन रही। मरिया या मरियामू ने एक पिंजरे में रखे जाने, भागने की कोशिश में एक पैर में गोली लगने, एक ऐसे व्यक्ति से शादी का वादा करने के बारे बतलाया जो उससे बहुत बड़ा था। जनादा के समान मरिया आँसू नहीं बहायी लेकिन वह बीच-बीच में रूक गई और फादर जोसेफ उसकी ओर से बोलते रहे। उन्होंने बतलाया कि मरिया अबूजा में अपनी चाची के साथ रहती है क्योंकि वह अपने माँ के साथ नहीं रह सकी जो मानती है कि वह बहुत पहले मर चुकी है। वह भाग उसे बुरी यादें दिलाता है। फादर ने कहा, "मारिया करीब एक साल के लिए पुरुषों के आसपास नहीं हो सकी, वह केवल उन्हें देखती रहती थी।" अपनी नौ साल की गुलामी में, मारिया को कुछ समय के लिए बंधक बना लिया गया था, 2014 में चिबोक के एक स्कूल से लगभग 300 लड़कियों का अपहरण कर लिया गया था, जिनके लिए "हमारी लड़कियों को वापस लाओ" का नारा भी बनाया गया था।

लेकिन उस नारे के साथ प्रयास के बावजूद, मारिया का भाई, जो अब भी कैद में है, वापस नहीं लाया जा सका है। न ही उसके दूसरे भाई, जिसको जनादा के पिता की तरह मार डाला गया, वापस लाया जा सकेगा। और अभी भी पूरे नाइजीरिया में बोको हराम के हजारों पीड़ित हैं।

चीजों को कैसे होना चाहिए..

लेकिन लड़कियों में उम्मीद है। जनादा अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ घर में रह रही है, वह अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए उष्णकटिबंधीय चिकित्सा का अध्ययन कर रही है। मारिया स्कूल में है, पढ़ना और लिखना सीख रही है। फादर जोसफ ने दोनों का स्वागत अपने सदमा केंद्र में किया है। 300 से अधिक महिलाओं ने केंद्र में उपचार से लाभ उठाया है, जिसे एड टू द चर्च द्वारा वित्त पोषित किया गया है। केंद्र, अपने सलाहकारों, शारीरिक, चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ, हिंसा के शिकार लोगों को समाज में फिर से जोड़ने में मदद करता है, उन्हें आशा देता है और उन्हें दिखाता है कि हर जगह, हर एक महिला के लिए जीवन कैसा होना चाहिए।

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09 मार्च 2023, 16:36
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