सम्राट चार्ल्स तृतीय को वेस्टमिंस्टर एब्बे में ताज पहनाया गया
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वेस्टमिंस्टर, सोमवार 8 मई 2023 (वाटिकन न्यूज) : सम्राट चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी महारानी कमिला का राज्याभिषेक धूमधाम और भव्य धार्मिक समारोह था जिसकी शुरुआत 1,000 साल से भी पहले की है।
लंदन के वेस्टमिंस्टर एब्बे में राज्याभिषेक समारोह में ब्रिटेन और दुनिया भर के हजारों गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। समारोह का नेतृत्व एंग्लिकन कम्युनियन के प्रमुख, कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेल्बी ने किया था, साथ ही इंग्लैंड और वेल्स में काथलिक कलीसिया के प्रमुख, वेस्टमिंस्टर के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल विंसेंट निकोल्स ने एक प्रार्थना पढ़ी। समारोह में अन्य कलीसिया और आस्था के नेताओं ने भी भाग लिया।
राज्याभिषेक समारोह की शुरुआत में महत्वपूर्ण ख्रीस्तीय एकता वर्धक क्षण था जब संत पापा फ्राँसिस द्वारा सम्राट चार्ल्स को उपहार में दिए गए वास्तविक क्रूस के दो टुकड़ों से युक्त एक चांदी के क्रूस को जुलूस के साथ गलियारे तक ले जाया गया था। संत पापा ने वेल्स में एंग्लिकन कलीसिया की शताब्दी को चिह्नित करते हुए एक ख्रीस्तीय एकता वर्धक भाव के रूप में पिछले महीने राजा को कीमती अवशेष भेजे थे।
प्रतीकात्मक राजचिह्न के साथ प्रस्तुत किए जाने के बाद, समारोह की परिणति तब हुई जब 1300 में बने प्राचीन लकड़ी के राज्याभिषेक कुर्सी पर सम्राट चार्ल्स तृतीय का राज्याभिषेक किया गया। कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष वेल्बी ने राजा के सिर पर सोने से बने और रत्नों से जड़े पारंपरिक राज्याभिषेक का ताज पहनाया।
सम्राट की ताजपोशी से पहले महाधर्माध्यक्ष वेल्बी द्वारा राजा का पवित्र तेल से अभिषेक किया गया था। राज्याभिषेक के लिए तेल येरुसालेम में जैतून पर्वत पर दो पेड़ों से उत्पन्न जैतून से आया था और वहां पवित्र समाधि गिरजाघर में पवित्र किया गया था।
दिन का औपचारिक समारोह मध्य लंदन में बकिंघम पैलेस से वेस्टमिंस्टर एब्बे तक एक भव्य जुलूस के साथ शुरू हुआ, जिसमें राजा और रानी एक आधुनिक घोड़ा-गाड़ी में यात्रा किये। हजारों लोगों ने यहां बारिश को नजरअंदाज किया और शाही जोड़े की एक झलक पाने के लिए जुलूस के रास्ते पर खड़े रहे। वेस्टमिंस्टर एब्बे में राज्याभिषेक समारोह के अंत में, नवअभिषिक्त शाही जोड़े ने महल में वापस जाने के मार्ग को वापस ले लिया, इस बार गोल्ड स्टेट कोच में यात्रा की जो 18वीं शताब्दी में बनाया गया था।
सार्वजनिक उत्सव सम्राट चार्ल्स तृतीय और महारानी कमिला के साथ बकिंघम पैलेस की बालकनी से भीड़ का अभिवादन करने और एक सैन्य विमान परेड के साथ समाप्त हुआ।
इस ताजपोशी के साथ ही सम्राट, औपचारिक रूप से चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के मुखिया बन जाते हैं और उन्हें इससे जुड़ी उपाधि के अलावा अधिकार प्राप्त हो जाते हैं। हालांकि, ये ज़रूरी नहीं है कि किसी अधिपति की ताजपोशी हो, तभी वो राजा बनता है। एडवर्ड सप्तम ने ताजपोशी के बग़ैर ही राज-पाट चलाया था। महारानी एलिज़ाबेथ के देहांत के बाद चार्ल्स स्वत: ही राजा बन गए थे।
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