बैंगलोर में मणिपुर हिंसा का विरुद्ध प्रदर्शन, तस्वीरः 20.07.2023 बैंगलोर में मणिपुर हिंसा का विरुद्ध प्रदर्शन, तस्वीरः 20.07.2023  (ANSA)

मणिपुर की महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार से सुप्रीम कोर्ट परेशान

भारत की शीर्ष अदालत ने उस वीडियो पर कार्रवाई की मांग की है जिसमें हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर में दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न परेड करते दिखाया गया है।

वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शुक्रवार, 21 जुलाई 2023 (ऊका समाचार) भारत की शीर्ष अदालत ने उस वीडियो पर कार्रवाई की मांग की है जिसमें हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर में दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न परेड करते दिखाया गया है।

कड़ी कार्रवाई की मांग

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने से अधिक समय से सांप्रदायिक हिंसा में लिप्त मणिपुर राज्य में दो महिलाओं को नग्न कर घुमाने वाली भीड़ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दो महिलाओं के खिलाफ जघन्य हिंसा पर परेशानी और नाराज़गी व्यक्त की। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद अदालत ने हस्तक्षेप किया, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य में पुरुषों की एक भीड़ महिलाओं को नग्न अवस्था में सार्वजनिक सड़क पर घुमाती दिख रही है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 20 जुलाई को कहा, "कल सामने आए वीडियो से हम बहुत परेशान हैं।"

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "सांप्रदायिक संघर्ष के क्षेत्र में लैंगिक हिंसा भड़काने के लिए महिलाओं को साधन के रूप में इस्तेमाल करना बेहद परेशान करने वाला मामला है। यह मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है। हम अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में आगे आये और सख्त कार्रवाई करे। इस प्रकार की जघन्यता बिल्कुल अस्वीकार्य है।"

दो जातियों के बीच संघर्ष

3 मई से मणिपुर हिंसा का रंगमंच बना हुआ है। जन जाति कुकी और बहुसंख्यक मैतेई जाति लोगों के बीच झगड़ा चल रहा है। मैतेई जाति के अधिकांश लोग हिन्दू धर्मानुयायी हैं, जिन्हें विशेष आदिवासी दर्जा देने के अदालती प्रस्ताव पर दोनों जातियों के बीच हिंसा जारी है। विशेष दर्जे से मैतेई जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों, शिक्षा और स्वदेशी एवं जनजातियों के लिए निर्धारित अन्य सकारात्मक कार्यक्रमों में प्राथमिकता मिलेगी।

पुलिस में दर्ज़ शिकायत के अनुसार, परेड करायी जानेवाली महिलाएं कुकी जाति की ईसाई हैं, और उनमें से एक के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया था। स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि हिंसा शुरू होने के अगले दिन यानी 4 मई को महिलाओं को नग्न कर घुमाया गया था। अब तक सांप्रदायिक हिंसा ने 150 से अधिक लोगों की जान ले ली है और लगभग 40,000 लोग विस्थापित हो गए हैं। ईसाई गिरजाघरों सहित कई पूजा स्थलों को भी जला दिया गया।

ख्रीस्तीय नेताओं का आरोप

ख्रीस्तीय नेताओं ने हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा संचालित राज्य और संघीय सरकार पर मणिपुर में ईसाइयों पर हमला करने में कट्टरपंथी हिंदू कार्यकर्ताओं को मौन रूप से समर्थन देने का आरोप लगाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक हिंसा पर चुप थे किन्तु वीडियो वायरल होने के बाद 20 जुलाई को पहली बार उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी और संसदीय सत्र से पहले मीडियाकर्मियों से कहा, "दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।"

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने मणिपुर राज्य सरकार से अपराधियों को कानून के सामने लाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में उनकी अदालत को सूचित करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, अदालत इस तथ्य से अवगत थी कि वीडियो 4 मई का था, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

मणिपुर के ख्रीस्तीय नेताओं का आरोप है कि मणिपुर की भाजपा सरकार ने मामले पर कोई कदम नहीं उठाया। नई दिल्ली में एक ईसाई नेता ए. सी. माईकल ने कहा, "यह एक सच्चाई है कि भाजपा के नेतृत्व वाली संघीय और राज्य सरकारें मणिपुर में शासन प्रदान करने में बुरी तरह विफल रहीं हैं।"

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य माइकल ने कहा, "यह हम भारतीयों के लिए शर्म की बात है कि हमारे प्रधान मंत्री तमाम विश्व में देशों की यात्रा कर रहे थे जबकि हमारे देश का एक राज्य जल रहा था।" एक ओर, विगत 30 दिनों में प्रधान मंत्री मोदी ने अमरीका, मिस्र और फ्राँस सहित कई देशों का दौरा किया है तो दूसरी ओर, मणिपुर जातिगत संघर्षों की हिंसा से जलता रहा है।  

उन्होंने 20 जुलाई को ऊका न्यूज़ से कहा यह शर्म की बात है कि यूरोपीय सांसदों को भारतीयों को "अपने लोगों को सुरक्षा प्रदान करने की ज़िम्मेदारी के बारे में याद दिलाना पड़ता है।"

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21 July 2023, 11:44