लीबिया से शरणार्थी नए मानवीय गलियारे के माध्यम से इटली पहुंचे
वाटिकन न्यूज
रोम, बुधवार 6 मार्च 2024 : आयशा 30 साल की हैं और उनके चार बच्चे हैं। सबसे बड़ा तीन साल का है, उसके बाद दो साल के जुड़वां बच्चे हैं, और सबसे छोटा छह महीने का है। वह मध्य अफ़्रीकी गणराज्य से आती है और उसने लीबिया से भूमध्य सागर के रास्ते यूरोप पहुंचने की छह बार कोशिश की, और हर बार लौट आई और चार साल तक रुकी। उसके बाद रेगिस्तान पार करने के बाद वहां पहुंचने वाले लोगों के लिए हिरासत केंद्रों में बेहद कठिन परिस्थितियों को सहन किया। आयशा का परिवार उन 97 शरणार्थियों में शामिल है, जो इरित्रिया, इथियोपिया, सीरिया, सोमालिया, सूडान और दक्षिण सूडान से है और मानवीय गलियारों की बदौलत रोम केफ्यूमिचिनो हवाई अड्डे पहुंचे।
लीबिया से पहली उड़ान
उनका आगमन संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर), संत इजीदियो समुदाय, इवांजेलिकल कलीसियाओं के संघ और इटली के आंतरिक और विदेशी मामलों के मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2023 में हस्ताक्षरित प्रोटोकॉल के अनुसार लीबिया से पहली उड़ान है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य, प्रवासन और गरीबी संस्थान (आईएनएमपी) प्रोटोकॉल में अगले कुछ वर्षों में 1,500 लोगों के आगमन की परिकल्पना की गई है, जिन्हें पूरे इटली में संस्थानों और परिवारों के साथ रखा जाएगा। बच्चे स्कूल जाएंगे जबकि वयस्क इतालवी भाषा की कक्षाओं में भाग लेंगे और नौकरियां ढूंढने में उन्हें मदद दी जाएगी।
एक नयी जीवन यात्रा
संत इजीदियो समुदाय के अध्यक्ष मार्को इम्पालियाज़ो ने वाटिकन न्यूज़ को बताया, "वे विशेष रूप से कमजोर लोग हैं जो वर्षों पहले लीबिया पहुंचे थे।" "उन्हें यात्राओं में और हिरासत में भी बहुत कष्ट सहना पड़ा है, वे अफ्रीकी देशों से बड़ी कठिनाई में आते हैं," वह आगे कहते हैं, "वे ऐसे लोग हैं जिन्हें वास्तव में मदद और स्वागत की ज़रूरत है, ताकि वे अपने भविष्य के लिए रास्ता ढूंढ सकें। सबसे पहले उनका इलाज किया जाएगा, क्योंकि उनमें से कई बीमार हैं। वे यहां इटली में होंगे और सबसे बढ़कर उन्हें उन समुदायों में एकीकृत किया जाएगा जो जीवन में एक नए रास्ते के रूप में उनका स्वागत करते हैं।
यूएनएचसीआर ने लीबिया में खतरों का उल्लेख किया
यूएनएचसीआर लीबिया में कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए काम करता है और संकट में फंसे इन लोगों की सहायता करता है। इटली, वाटिकन और संत मरिनो के लिए यूएनएचसीआर प्रतिनिधि कियारा कार्डोलेटी ने जोर देकर कहा, "लीबिया एक सुरक्षित ठिकाना नहीं है।" "हम जानते हैं कि शरणार्थियों के लिए लीबिया अभी भी एक बहुत ही जटिल देश है। अब तक इसमें बहुत सुधार नहीं हुआ है। लीबिया ने 1951 शरणार्थी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किया है। यह एक ऐसा देश है जहां हम अभी भी हिरासत केंद्रों में महिलाओं और पुरुषों को प्रभावित करने वाली बड़ी हिंसा की कई घटनाएं देखते हैं।" 2017 के बाद से, लगभग आठ हजार लोग मानवीय गलियारे द्वारा प्रदान किये गये विभिन्न प्रोटोकॉल के माध्यम से इटली, फ्रांस और बेल्जियम पहुंचे हैं।
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