केरल के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में गिरजाघर और मस्जिदें अस्थायी अस्पतालों में बदल गईं
वाटिकन न्यूज
वायनाड, गुरुवार 1 अगस्त 2024 : मंगलवार की सुबह केरल में चाय बागानों और गांवों में भारी बारिश के कारण हुए बड़े पैमाने पर भूस्खलन के बाद कई लोग लापता हैं और उनके फंसे होने की आशंका है। दक्षिणी राज्य के वायनाड जिले के पहाड़ी इलाकों में हुए भूस्खलन के बाद लगभग 200 अन्य घायल हो गए और 187 अन्य लापता हैं। भूस्खलन के कारण घर ढह गए, पेड़ उखड़ गए और पुल नष्ट हो गए।
राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों से 5,500 से अधिक लोगों को बचाया गया है, जबकि 300 से अधिक बचावकर्मी कीचड़ और मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं।
हालांकि, अवरुद्ध सड़कें और अस्थिर भूभाग खोज और बचाव कार्यों में बाधा डाल रहे हैं और भारतीय सेना एक अस्थायी पुल का निर्माण कर रही है, क्योंकि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक को जोड़ने वाला मुख्य पुल बाढ़ में बह गया था।
अधिकारियों ने बताया कि सड़कें बह गई हैं और घरों को भारी नुकसान पहुंचा है और मेप्पाडी, मुंदक्कई और चूरलमाला सहित कई क्षेत्र अलग-थलग पड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि "सभी उपलब्ध संसाधनों के साथ लापता लोगों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं।"
स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय ने कहा कि 8,300 से अधिक लोगों को 82 सरकारी राहत केंद्रों में ले जाया गया है, वहां एक मस्जिद और मदरसे में अस्थायी अस्पताल सुविधाएं स्थापित की जाएंगी और चूरलमाला गिरजाघऱ और पॉलिटेक्निक कॉलेज में भी एक अस्थायी अस्पताल प्रणाली स्थापित की जाएगी।
केरल काथलिक धर्माध्यक्षों की एकजुटता
इसी तरह, केरल काथलिक धर्माध्यक्षीय परिषद ने एक बयान में कहा कि वे बचाव कार्यों में तेज़ी लाने के लिए सरकारी एजेंसियों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगे।
एक बयान में "केरल काथलिक धर्माध्यक्षीय परिषद ने कहा कि वह पीड़ितों को सांत्वना प्रदान करने के लिए सरकारी प्रयासों में पूरा सहयोग करेगी। "हम प्रभावित क्षेत्रों में धर्मप्रांतीय टीमों और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि संकट से उबरने के लिए उन्हें शारीरिक सहायता, आराम और साहस प्रदान किया जा सके।" काथलिक धर्माध्यक्षीय परिषद ने सभी प्रभावितों के प्रति एकजुटता व्यक्त की और भूस्खलन में अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी।
भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि "मानसून का पैटर्न लगातार अनिश्चित होता जा रहा है और कम समय में होने वाली बारिश की मात्रा बढ़ गई है, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएँ लगातार हो रही हैं।"
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