पोलैंड : विश्वविद्यालय व्याख्यान कार्यक्रम से कैदियों को मिली 'आशा की किरण'
फादर पावेल रेटेल – अंद्रियानिक & मोनिका स्तोजोवस्का
पोलैंड, मंगलवार, 3 दिसंबर 2024 (रेई) : लुबलिन रिमांड सेंटर की एक कैदी मिशेल के अनुसार, "मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे आशा की किरण दिखा दी है, तथा मुझे दिखाया है कि मैं पूरी तरह से टूटी हुई और बुरी नहीं हूँ।" यह बात उसने "खुला कैदी व्याख्यान" की नई श्रृंखला के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के बाद कही।
संत जॉन पौल द्वितीय लुबलिन काथलिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य है सभी कैदियों को ज्ञान और चिंतनशील सोच सुलभ कराना, चाहे उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
कैदखाने के कमरे में मानवता का प्रवेश
27 नवंबर को उद्घाटन सत्र के दौरान, साहित्यिक इतिहासकार प्रोफेसर जोसेफ फर्ट ने सिप्रियन कामिल नोरविद की रचनाओं का हवाला दिया, जिससे आंतरिक स्वतंत्रता की अवधारणा पर चिंतन को बढ़ावा मिला। फिर भी, प्रतिभागियों की आवाज़ें सबसे ज़्यादा गहराई से गूंजीं।
काजिमिएराज, जो दो साल से अपनी सजा काट रहा है, ने कहा, “मैंने सब कुछ नहीं समझता हूँ, लेकिन मैं अपना मन और दिल अच्छे शब्दों के लिए खोलना चाहता हूँ। मैं सराहना करता हूँ कि विश्वविद्यालय से ये लोग हमारे साथ सम्मान से पेश आते हैं। वे नहीं पूछते कि यहाँ पहुँचने के लिए हमने क्या किया। वे डर की भावना भी नहीं दिखाते हैं।”
मीकल समेत कई कैदियों के लिए, व्याख्यान ज्ञान प्राप्त करने और व्यक्तिगत विकास के लिए प्रेरणा का अवसर प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा, "मेरे पास हाई स्कूल डिप्लोमा नहीं है, लेकिन शायद मैं इसे प्राप्त कर लूँगा। आज जब मैंने सुना तो मुझे प्रेरणा मिली, मुझे एहसास हुआ कि मैं जेल में इस समय का उपयोग अपनी परिस्थितियों के बारे में सोचे बिना कर सकता हूँ।"
स्वतंत्रता का विचार अभ्यास में
यह आयोजन केयूएल और लुबलिन रिमांड सेंटर के बीच 11 वर्षों से अधिक के सहयोग के कारण संभव हो पाया है।
अब तक, विश्वविद्यालय ने पारिवारिक अध्ययन के पाठ्यक्रम पेश किए थे। हालाँकि, "खुला कैदी व्याख्यान" का उद्देश्य कैदियों के बहुत व्यापक दर्शकों तक पहुँचना है।
भविष्य के सत्रों में दर्शन, विज्ञान और मानविकी के विषयों को शामिल किया जाएगा।
केयूएल के रेक्टर फादर मिरोस्लाव कलिनोवस्की ने जोर देकर कहा, “मानवता हम प्रत्येक में है। इसे खोजा जाना, पोषित और विकसित किया जाना है।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को अन्य विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के सहयोग से व्यवस्थित रूप से विस्तारित किया जाएगा।
पहली सभा का समापन करते हुए, केयूएल के रेक्टर ने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि सच्ची स्वतंत्रता आंतरिक परिवर्तन से शुरू होती है।
"हम श्रोताओं को दिखाना चाहते हैं कि स्वतंत्रता हमारे भीतर है, और यह तय करना हमारे ऊपर है कि इसका उपयोग कैसे किया जाए। हम यहाँ जो कर रहे हैं वह एक ऐसी यात्रा की शुरुआत है जो जेल से बाहर आने के बाद भी जारी रखने लायक है।"
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