निकारागुआ : ओर्तेगा ने क्रूस रास्ता पर प्रतिबंध लगाया और धर्माध्यक्षों पर हमला की
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
निकारागुआ में काथलिक कलीसिया एवं सरकार विरोधियों के खिलाफ नवीनतम कारर्वाई में दानिएल ओर्तेगा की सरकार ने देश की सभी पल्लियों में परम्परागत रूप से चालीसा काल के दौरान की जानेवाली क्रूस रास्ता की प्रार्थना को सार्वजनिक रूप से सम्पन्न करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
क्रूस रास्ता की धर्मविधि, चालीसा काल के दौरान एवं पुण्य शुक्रवार के दिन गिरजाघर के अंदर सम्पन्न की जाएगी और इसे सार्वजनिक रूप में नहीं किया जा सकेगा।
यह कदम निकारागुआ की कलीसिया के खिलाफ राष्ट्रपति ओर्तेगा की बढ़ती कार्रवाई के संदर्भ में उठाया गया है, जिन्होंने हाल ही में मटागाल्पा के धर्माध्यक्ष रोलैंडो अल्वारेज़ को 26 साल की कारावास की सजा सुनाई एवं 222 राजनीतिक विरोधियों को निर्वासन पर अमेरिका भेज दिया। निकारागुआ के अन्य 94 नागरिकों के साथ साथ मनागुआ के सहायक धर्माध्यक्ष सिल्वो जोश बीज़ और मटागाल्पा के एक पुरोहित की नागरिकता भी छीन ली गई है।
धर्माध्यक्षों पर “गंभीर अपराध एवं आतंक” का आरोप
सैंडिनिस्ता शासन और काथलिक कलीसिया के बीच तनाव पिछले हफ्ते अपने चरम पर पहुँच गया, जब निकारागुआ के राष्ट्रीय हिरो अगुस्तो सैंडिनो की हत्या की 89वीं वर्षगांठ के लिए एक भाषण में, राष्ट्रपति ओर्तेगा ने काथलिक कलीसिया के धर्माध्यक्षों पर "गंभीर अपराध एवं आतंक" का आरोप लगाते हुए कलीसिया के खिलाफ एक जोरदार हमला किया। उनपर तानाशाह सोमोज़ा का समर्थन करने का आरोप लगाया, जिसे 1979 में सैंडिनिस्ता क्रांति द्वारा बेदखल कर दिया गया था।
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, ओर्तेगा ने पोप पर इताली तानाशाह मुसोलिनी का समर्थन करने और वाटिकन को "माफिया संगठन" होने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा, "मैं पोप या राजाओं में विश्वास नहीं करता: पोप को कौन चुनता है? "अगर हम लोकतंत्र के बारे में बात करना चाहते हैं, तो लोगों को पहले पुरोहितों और धर्माध्यक्षों का चुनाव करना चाहिए", और "यहाँ तक कि पोप" को "प्रत्यक्ष वोट से चुना जाना चाहिए न कि वाटिकन में संगठित माफिया द्वारा"।
निकारागुआ की कलीसिया के साथ विश्वव्यापी एकजुटता
ओर्तेगा की यह टिप्पणी 12 फरवरी को निकारागुआ के लिए पोप फ्राँसिस की अपील के मद्देनजर आई। देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा ने कहा था कि वे धर्माध्यक्ष अल्वारेज और उन सभी लोगों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं जिन्हें निर्वासन में अमरीका भेज दिया गया है और जो प्यारे देश निकारागुआ में अत्याचार सह रहे हैं।” उनके साथ विश्वभर के लोगों ने निकारागुआ की कलीसिया के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की थी।
अपने भाषण में ओर्तेगा ने 222 लोगों के निर्वासन का कोई जिक्र नहीं किया, न ही धर्माध्यक्ष अल्वारेज की हाल में 26 वर्षों की सजा पर बात की।
निकारागुआ के मानव अधिकार केंद्र ने धर्माध्यक्ष को शीघ्र रिहा किये जाने की अपील की है और कहा है कि उन्हें अनुचित रूप से कैद किया गया है। उन्होंने इस बात की निंदा की है कि ला मॉडलो सुरक्षा जेल में उनके कारावास के बाद से, उनके बारे में कोई खबर नहीं आई है, और किसी भी परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। संगठन के मुताबिक उनकी जान को खतरा है।
निकारागुआ की कलीसिया को अमरीका के धर्माध्यक्षों का समर्थन
संत पापा की अपील पर ध्यान देते हुए अमरीकी धर्माध्यक्षों ने निकारागुआ में कलीसिया के साथ एकात्मता व्यक्त की है। महाधर्माध्यक्ष तिमोथी पी. ब्रोलियो ने निकारागुआ के निर्वासितों के गर्मजोशी से स्वागत के लिए अमेरिका के काथलिक समुदाय को धन्यवाद दिया है। महाधर्माध्यक्ष ब्रोलियो ने कहा, “इस अंधकारपूर्ण समय में, निकारागुआ के लोगों और निकारागुआ के विश्वासियों का समर्थन करनेवाले दुनियाभर के काथोलिकों के बीच वे साहसी उम्मीद, प्रेम और सहानुभूति के रूप में विश्वास की स्थायी जीवन शक्ति की गवाही दे रहे हैं।” उन्होंने अमरीकी सरकार एवं अन्य साझेदारों से अपील की है कि वे धर्माध्यक्ष अल्वारेज की रिहाई एवं निकारागुआ में मानव अधिकार की रक्षा के लिए प्रयास जारी रखें।”
2018-2022 के बीच कलीसिया के खिलाफ आक्रमण में वृद्धि
सरकार विरोधी प्रदर्शनों की लहर के बाद, ओर्तेगा प्रशासन और निकारागुआ की कलीसिया के बीच संबंध फिर से बिगड़ गए, जिन्हें 2018 में सरकार द्वारा क्रूरता से दबा दिया गया था। संकट में मध्यस्थता करने के प्रयासों के बावजूद, अंततः धर्माध्यक्षों को मध्यस्थता करने से प्रतिबंधित कर दिया गया, और ओर्तेगा द्वारा विरोध के दौरान घायल प्रदर्शनकारियों को शरण देने के लिए "क्रांतिकारी" होने का आरोप लगाया गया। मानवाधिकार दलों के अनुसार, उस समय कम से कम 328 लोग मारे गए थे।
2021 के विवादास्पद चुनावों के बाद संबंध और भी खराब हो गए, जिसने एक और जनादेश के लिए सैंडिनिस्ता नेता की पुष्टि की।
संकट फैलने के बाद से ही कलीसिया कई हमलों और अपवित्र किये जाने के साथ-साथ धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के उत्पीड़न एवं धमकियों के निशाने पर रहा है।
अप्रैल 2018 और अक्टूबर 2022 के बीच, निकारागुआई शासन ने कथित रूप से निकारागुआ की काथलिक कलीसिया के खिलाफ 396 हमले किए हैं, जिनमें गिरजाघरों में आपत्तिजनक पेंटिंग से लेकर शारीरिक हमले, निर्वासन और गिरफ्तारी शामिल हैं।
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