देवदूत प्रार्थना : ज्योतिषी विनम्र शिशु येसु पर आश्चर्य करना सिखाते हैं
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 जनवरी 2024 (रेई) : प्रभु प्रकाश महापर्व के अवसर पर शनिवार 6 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।
संत पापा ने अपने संदेश में कहा, “आज हम प्रभु प्रकाश का महापर्व मना रहे हैं अर्थात् ज्योतिषियों के रूप में सभी लोगों के सामने उनकी प्रकाशना का पर्व। (मती. 2: 1-12) वे बुद्धिमान अन्वेषक, एक तारे के उदय होने के बारे में सोचने के बाद, यात्रा पर निकलते हैं और बेथलेहम पहुंचते हैं। वहाँ वे येसु को "उनकी माँ मरियम के साथ" पाते हैं, उन्हें दण्डवत करते एवं उन्हें "सोना, लोबान और गंधरस" चढ़ाते हैं। (11)
बालक येसु की दीनता
संत पापा ने इस दृष्य पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “आइए, इस दृश्य पर एक क्षण के लिए रुकें, उन बुद्धिमान लोगों पर जो एक साधारण बच्चे में ईश्वर की उपस्थिति को पहचानते हैं: किसी राजकुमार या कुलीन व्यक्ति में नहीं, बल्कि गरीब लोगों के बच्चे में, और वे उनके सामने झुक जाते हैं, उन्हें दण्डवत करते हैं। तारा उन्हें वहाँ, एक बच्चे के सामने ले गया; और वे, उनकी छोटी-छोटी मासूम आँखों में, ब्रह्मांड के निर्माता की रोशनी को महसूस करते हैं, जिनकी खोज करने के लिए उन्होंने अपना पूरा अस्तित्व समर्पित कर दिया। उन नन्हे अंगों में वे प्रभु के जीवन को देखते हैं, वे वहाँ चिंतन करने के लिए रूकते और एक नये व्यक्ति के रूप में आगे बढ़ते हैं।”
संत पापा ने कहा कि यह एक निर्णायक अनुभव है और हमारे लिए भी महत्वपूर्ण है। निश्चय ही, बालक येसु में हम ईश्वर को मानव के रूप में देखते हैं। “अतः आइये हम उन्हें देखें, उनकी दीनता पर आश्चर्य करें। येसु पर चिंतन करें। उनके सामने रूकें, यूखरिस्त में उनकी आराधना करें।” संत पापा ने कहा कि यह व्यर्थ समय गवाँना नहीं है लेकिन समय को अर्थपूर्ण बनाना है। यह हृदय को पोषित करनेवाली मौन की सरलता में जीवन की दिशा को फिर से खोजना है। हम बालक के सामने रुकें, आइए हम चरनी के सामने भी रुकें।”
बच्चों से सीखें
संत पापा ने बच्चों को समय देने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “और आइये हम बच्चों को देखने के लिए समय निकालें, छोटे बच्चे जो हमें येसु के बारे बतलाते हैं, अपने भरोसे, अपनी तत्परता, अपने आश्चर्य, अपने स्वस्थ जिज्ञासा, अपने रोने और हंसने, सपने देखने की क्षमता के द्वारा। ईश्वर ऐसे ही हैं : एक बच्चे के समान, भरोसा रखनेवाले, सरल, जीवन को प्यार करनेवाले (प्रज्ञा 11:26) सपने देखनेवाले। उन्होंने अपने आपको मांस में बदल दिया एवं हमारे साथ उस जीवन के रहस्य को साझा करना पसंद करते हैं जो आँसूओं एवं मुस्कानों से बना है। हम अपने बच्चों के पास रूकें एवं उनसे बात करें, उनके साथ खेलें और मुस्कुरायें, दादा-दादी के समान धैर्य रखें जो जानते हैं कि किस तरह उनके साथ पेश आना है। हम सुनने की कोशिश करें कि वे हमें क्या बतलाते हैं एवं उनके माध्यम से ईश्वर हमें क्या कहते हैं। यदि हम बालक येसु के सामने और बच्चों की संगति में खड़े होंगे, तो हम चकित होना सीखेंगे और हम ज्योतिषियों की तरह सरल और बेहतर शुरुआत करेंगे। और हम जानेंगे कि दुनिया की समस्याओं पर नया और रचनात्मक दृष्टिकोण कैसे रखा जाए।”
चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए संत पापा ने कहा, “तो आइए हम अपने आप से पूछें: क्या इन दिनों, हमने आराधना करना बंद कर दिया है, क्या हमने चुपचाप चरनी के सामने प्रार्थना करते हुए येसु के लिए थोड़ी जगह बनाई है? क्या हमने बच्चों को, उनसे बात करने और उनके साथ खेलने में समय समर्पित किया है? और अंततः क्या हम बच्चों की आँख से दुनिया की समस्याओं को देख सकते हैं?”
तब कुँवारी मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, “ईश्वर की माता और हमारी माता मरियम, बालक येसु एवं सभी बच्चों के प्रति स्नेह बढ़ा दे, विशेषकर, उन बच्चों के प्रति जो युद्ध एवं अन्याय के भार से दबे हुए हैं।"
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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